Sahara India Money Refund: सहारा इंडिया में फंसा हुआ पैसा मिलना हुआ शुरू, नई लिस्ट जारी

Sahara India Money Refund: सहारा इंडिया, जिसे सहारा इंडिया परिवार के नाम से भी जाना जाता है, भारत के वित्तीय क्षेत्र में एक प्रमुख नाम रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, सहारा समूह की सहकारी समितियों में निवेशकों के अरबों रुपये फंस गए, जिसके कारण लाखों छोटे निवेशकों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा। इस स्थिति को संबोधित करने के लिए, भारत सरकार ने सहारा इंडिया रिफंड प्रक्रिया शुरू की, जो निवेशकों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। यह लेख सहारा इंडिया मनी रिफंड की प्रक्रिया, इसके महत्व, और निवेशकों के लिए आवश्यक जानकारी पर प्रकाश डालता है।

Sahara India Money Refund: Details

सहारा इंडिया ने अपनी चार सहकारी समितियों—सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (लखनऊ), सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पस सोसाइटी लिमिटेड (भोपाल), हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (कोलकाता), और स्टार्स मल्टीपर्पस कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (हैदराबाद)—के माध्यम से देशभर के लाखों निवेशकों से धन एकत्र किया। इन समितियों ने 2010 से 2014 के बीच करीब 86,673 करोड़ रुपये जुटाए, जिसमें से अधिकांश छोटे और मध्यम वर्ग के निवेशकों का पैसा था। हालांकि, नियामक अनियमितताओं और धोखाधड़ी के आरोपों के कारण, सहारा समूह को निवेशकों को उनके पैसे लौटाने में असफलता का सामना करना पड़ा।

2012 में, सुप्रीम कोर्ट ने सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इंडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड (SHICL) को 25,000 करोड़ रुपये “सहारा-सेबी रिफंड अकाउंट” में जमा करने का आदेश दिया। इसके बावजूद, कई निवेशकों को उनका पैसा नहीं मिला, क्योंकि अधिकांश उच्च-नेटवर्थ निवेशक अपने दावे प्रस्तुत करने के लिए आगे नहीं आए। इस बीच, सहकारी समितियों में फंसे छोटे निवेशकों की परेशानियां बढ़ती गईं।

CRCS-सहारा रिफंड पोर्टल: एक नई पहल

निवेशकों की शिकायतों को दूर करने के लिए, भारत सरकार ने 18 जुलाई 2023 को CRCS-सहारा रिफंड पोर्टल (mocrefund.crcs.gov.in) लॉन्च किया। यह पोर्टल सहारा समूह की चार सहकारी समितियों के वास्तविक निवेशकों के लिए उनके दावों को प्रस्तुत करने और धनवापसी प्राप्त करने के लिए बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट के 29 मार्च 2023 के आदेश के अनुसार, “सहारा-सेबी रिफंड अकाउंट” से 5,000 करोड़ रुपये सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसाइटीज (CRCS) को हस्तांतरित किए गए, ताकि छोटे निवेशकों को उनके पैसे वापस किए जा सकें।

यह प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस है, जिसे पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी की निगरानी में और अधिवक्ता गौरव अग्रवाल की सहायता से संचालित किया जा रहा है। 28 जनवरी 2025 तक, सरकार ने 11.61 लाख से अधिक निवेशकों को 2,025.75 करोड़ रुपये वितरित किए हैं।

Sahara India Money Refund Process: कैसे करें आवेदन?

CRCS-सहारा रिफंड पोर्टल पर रिफंड के लिए आवेदन करना सरल है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तों का पालन करना आवश्यक है। निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. पंजीकरण: पोर्टल पर जाएं और ‘डिपॉजिटर रजिस्ट्रेशन’ टैब पर क्लिक करें। अपने आधार नंबर के अंतिम चार अंक, मोबाइल नंबर, और कैप्चा कोड दर्ज करें। आपको प्राप्त OTP को सत्यापित करें।
  2. लॉगिन: ‘डिपॉजिटर लॉगिन’ टैब पर क्लिक करें और आधार नंबर, मोबाइल नंबर, और OTP के साथ लॉगिन करें।
  3. दावा फॉर्म भरें: व्यक्तिगत विवरण, आधार से जुड़ा बैंक खाता, और निवेश से संबंधित जानकारी दर्ज करें। दावा फॉर्म डाउनलोड करें, उसमें फोटो और हस्ताक्षर जोड़ें, और पोर्टल पर अपलोड करें।
    4._forest: PAN कार्ड (यदि दावा राशि 50,000 रुपये से अधिक है), निवेश रसीद, और अन्य आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें।
  4. सबमिशन: दावा जमा करने के बाद, 45 कार्य दिवसों के भीतर रिफंड आधार से जुड़े बैंक खाते में जमा कर दिया जाएगा।

Sahara India Money Refund: के लिए पात्रता और दस्तावेज

रिफंड के लिए पात्र होने के लिए, निवेशक का आधार नंबर मोबाइल नंबर और बैंक खाते से जुड़ा होना चाहिए। इसके अलावा, निवेश रसीद और पहचान पत्र जैसे दस्तावेज आवश्यक हैं। यदि दावा में कोई कमी या भुगतान विफलता होती है, तो निवेशक पोर्टल पर दोबारा आवेदन कर सकते हैं।

रिफंड की सीमा और प्रगति

शुरुआती चरण में, रिफंड की सीमा 10,000 रुपये प्रति निवेशक थी, जिसे सितंबर 2024 में बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया। 31 जनवरी 2024 तक, 12.1 मिलियन दावों में से 2.77 लाख निवेशकों को 258.47 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। हालांकि, 16 मिलियन से अधिक पंजीकरण और 34.1 मिलियन दावों के साथ, प्रक्रिया अभी भी चल रही है।

चुनौतियां और आलोचनाएं

कई निवेशकों ने पोर्टल पर दावों को अस्वीकार किए जाने की शिकायत की है, मुख्य रूप से डेटा मेल न खाने या दस्तावेजों में कमी के कारण। मृत निवेशकों के कानूनी उत्तराधिकारियों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, कुछ निवेशकों का कहना है कि प्रक्रिया धीमी है और बड़े दावों के लिए भविष्य की योजनाएं स्पष्ट नहीं हैं।

Latest Post

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top